Rumored Buzz on hanuman chalisa
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अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥ दुर्गम काज जगत के जेते ।
श्री हनुमान चालीसा - जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
भावार्थ – हे पवनसुत श्री हनुमान जी! आप सारे संकटों को दूर करने वाले हैं तथा साक्षात् कल्याण की मूर्ति हैं। आप भगवान् श्री रामचन्द्र जी, लक्ष्मण जी और माता सीता जी के साथ मेरे हृदय में निवास कीजिये।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
भावार्थ – वीर हनुमान जी का निरन्तर जप करने से वे रोगों का नाश करते हैं तथा सभी पीड़ाओं का हरण करते हैं।
“He whoever reads these verses on Hanuman, he can get spiritual attainments, Lord Shiva is definitely the witness to this assertion.”
भावार्थ – आपके परम मन्त्र (परामर्श) को विभीषण ने ग्रहण किया। इसके कारण वे लंका के राजा बन गये। इस बात को सारा संसार जानता है।
"किसने लिखी थी हनुमान चालीसा, जिसके read more बारे में कही जाती हैं कई बातें".
SūkshmaSūkshmaMicro / minute / small rūpaRūpaForm / human body / form dhariDhariAssuming siyahiSiyahiSita, Wife of Lord Rama dikhāvāDikhāvāTo indicate up
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भावार्थ – जो प्राणी वीरश्रेष्ठ श्री हनुमान जी का हृदयसे स्मरण करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं और सभी प्रकार की पीड़ाएँ समाप्त हो जाती हैं।